दुनिया का पहला कंप्यूटर सन् 1945 में पेनसिलिवेनिया में बनाया गया था। सत्तर के दशक तक कंप्यूटर काफी महंगा और विशाल आकार वाला होता था इस लिए बड़े सरकारी विभाग या कंपनियां ही इसे खरीद पाते थे। भारत में पहला कंप्यूटर सन् 1955 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने खरीदा था। सन् 1981 में जीरोक्स कंपनी ने पहला माइक्रो कंप्यूटर बाजार में उतारा। धीरे-धीरे छोटे, हल्के और सस्ते कंप्यूटर बनने के बाद घरों में भी लोग कंप्यूटर खरीदने लगे। सन् 1991 में टिम बर्नर्स ली ने अनेक कंप्यूटर को जोड़कर वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत की। लेकिन भारत में इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में तब आरंभ हुई जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटर से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया। इसी साल देश की पहली साइट इंडिया वर्ल्ड डॉट कॉम आरंभ हुई। इसी साल रिडिफ डॉट कॉम और इंडिया टाइम्स डॉट कॉम भी आरंभ हुई। सन् 1998 में सरकार ने निजी कंपनियों को इंटरनेट सेवा क्षेत्र में आने की अनुमति दे दी। 23 सितंबर 1999 को दुनिया का पहला हिन्दी पोर्टल वेब दुनिया इंदौर से आरंभ हुआ।
नब्बे का दशक भारतीय कंप्यूटर क्रांति का दशक माना जा सकता है। जब तेजी से ना केवल देश में कंप्यूटरों की बिक्री बढ़ी बल्कि बड़ी तादाद में कंप्यूटर का प्रशिक्षण देने वाले संस्थान भी शुरू हुए। हालांकि इसमें सरकार का उदार नीतियों का भी काफी योगदान रहा। नतीजा ये निकला कि भारत में प्रशिक्षित कंप्यूटर इंजीनियर बड़ी संख्या में अमेरिका के सिलिकोन वैली में जाने लगे। इसके साथ-साथ भारतीय तकनीकी संस्थान (आईआईटी) इंजीनियर अपनी उद्यमशीलता से कंप्यूटर जगत में अपना स्थान बनाने में लगे हुए थे। अर्जुन मल्होत्रा, शिव नाडार (एचसीएल), अजीम प्रेम जी (विप्रो) और नारायण मूर्ति (इन्फोसिस) के नाम इनमें प्रमुख रूप से गिने जा सकते हैं। सन् 2000 के बाद कंप्यूटर की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई और ऑफिसों से निकल कर अब कंप्यूटर मध्यमवर्गीय घरों में भी दिखने लगा। इसी के साथ-साथ देशभर में साइबर कैफों की बदौलत इंटरनेट सेवा ने भी व्यापक विस्तार लिया। इन कैफे में इंटरनेट सेवा की दर 50-60 रूपये प्रतिघंटा से घटकर 10-20 रूपये तक आ गयी।
Wednesday, April 9, 2008
वेब मीडिया का इतिहास
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1 comment:
अच्छी पोस्ट.
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