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Wednesday, April 2, 2008

ऑनलाइन गेम्स का पैशन


धूम मचा ले.. मचा ले.. गुनगुनाता हुआ 14 वर्षीय रोहन आज बहुत खुश लग रहा था। उसे इतना खुश देखकर उसके डैड ने पूछा क्या बात है आज बहुत मूड में हो! रोहन ने तुरंत जवाब दिया कि हां, आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैं अपने फेवॅरिट स्टार जॉन अब्राहम की ही तरह बाइक रेसिंग करके जो आ रहा हूं। बस इतना सुनना था कि डैड ने उसे डांटते हुए कहा कि अभी तुम्हारी उम्र बाइक चलाने की नहीं हुई है। कहीं कोई दुर्घटना घट जाती, तो? मनमौजी रोहन स्टाइलिश तरीके से बोला, अरे! डैड, डोन्ट वॅरी बी कूल। मैं सचमुच में सडक पर बाइक चलाकर नहीं आ रहा हूं, बल्कि प्ले-स्टेशन में बाइक रेसिंग ऑनलाइन गेम खेलकर आ रहा हूं।
हां दोस्तो, आजकल हमारे ज्यादातर फ्रेंड्स स्पोर्ट्स की वर्चुअल दुनिया का खूब लुत्फ उठा रहे हैं, जिसे वे अपनी भाषा में ई-स्पोर्ट्स कहते हैं।
कैसे खेलते हैं ऑनलाइन गेम्स
ऑनलाइन गेम वीडियो गेम का ही एडवांस वर्जन है, जिसे आप अपने पीसी पर या किसी प्ले-स्टेशन में खेलते हैं। आजकल बहुत-सी ऐसी वेबसाइट्स हैं, जहां से आप विभिन्न तरह के गेम्स डाउनलोड कर सकते हैं। इनमें से अधिकतर मुफ्त में डाउनलोड हो जाते हैं, जबकि कुछ के लिए मेंबरशिप लेनी पडती है।
गेम का पैशन
ऑनलाइन गेम कादीवाना तेरह वर्षीय आदित्य बताता है कि ऑनलाइन गेम में पैशन है। आप अगर स्पोर्ट्स का असली मजा लेना चाहते हैं और प्लेग्राउंड पर पसीना नहीं बहाना चाहते हैं, तो ऑनलाइन गेम की वर्चुअल दुनिया बहुत बेहतर विकल्प है। इस पर नए-नए रोमांचक गेम्स के अलावा पारंपरिक गेम्स जैसे- ताश, शतरंज, बिलियर्ड्स, कैरम आदि भी बडी संख्या में युवा खेलते हैं। पिंग पॉन्ग, मारियो ब्रॉस, सुपर मारियो, वर्चुअल क्रिकेट, नीड फॉर स्पीड, कार रेसिंग, बाइकिंग, वार विद डेविल आदि गेम्स बहुत लोकप्रिय हैं।
पिछले दो वर्ष से ऑनलाइन गेम खेलने वाले मयंक के अनुसार अब ऑनलाइन गेम की दुनिया बहुत एडवांस हो गई है, क्योंकि आप अपने घर या प्ले-स्टेशन पर बैठकर नेशनल और इंटरनेशनल लेवॅल पर आयोजित हो रहे ऑनलाइन कॉम्पिटिशंस में भाग ले सकते हैं। वे बताते हैं कि अब मैसिव मल्टीप्लेयर्स ऑनलाइन रोल-प्लेइंग गेम, जिसे हम एमएमओआरपीजी कहते हैं, के माध्यम से आप एक ही समय में बहुत सारे लोगों के साथ एक ही गेम खेल सकते हैं।
कुछ अच्छा, कुछ बुरा
वैसे, युवाओं के बीच बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहे ऑनलाइन गेम्स को लेकर पूरी दुनिया में बहस भी छिडी हुई है। इसका सपोर्ट करने वाले ग्रुप का तर्क है कि ऑनलाइन गेम्स खेलने से न केवल एकाग्रता बढती है, बल्कि आज प्लेग्राउंड के अभाव में टीनएजर्स प्ले-स्टेशन में बैठकर अपना मनोरंजन भी कर सकते हैं। वहीं कुछ दूसरे लोगों का मानना यह है कि ऑनलाइन गेम्स के कारण आज की जेनरेशन का शारीरिक विकास बाधित हो रहा है। भाग-दौड के खेलों से दूर सिर्फ घंटों तक वीडियो स्क्रीन पर आंख गडाए बैठने से न सिर्फ उनका शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है, बल्कि रोमांच के नाम पर उनमें हिंसक प्रवृत्ति भी बढ रही है।
वैसे, ब्रिटेन की नॉटिंग्घम टे्रंट यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग अटेंशन डेफिसिट डिसऑडर से पीडित बच्चों को इम्प्रूव करने में सहायक है।
ऑनलाइन गेम्स का इतिहास
पचास के दशक में जब कम्प्यूटर काफी बडे साइज के हुआ करते थे, उस समय एक कॉलेज स्टूडेंट ने अपने एक क्लास प्रोजेक्ट के लिए एक गेम, जिसे टिक-टैक-टो नाम दिया था की शुरुआत की। उसके बाद 1960 में एमआईटी के एक स्टूडेंट ने स्पेस वार गेम की प्रोग्रामिंग की, जिसे दो लोगों द्वारा खेला जाता था। फिर धीरे-धीरे ऑनलाइन गेम्स के क्षेत्र में विकास होता गया। नब्बे के दशक में थ्री-डी गेम्स ने इस क्षेत्र में नया रोमांच पैदा किया। वर्तमान दौर में माइक्रोसॉफ्ट, सोनी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी नए-नए प्रॉडक्ट लॉन्च कर ऑनलाइन गेम्स की दुनिया में रोजाना नया धमाल मचा रही हैं।

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