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Wednesday, April 9, 2008

'हैकिंग' का इतिहास

कंप्यूटर हैकिंग या कंप्यूटर के सॉफ़्टवेयर के साथ छेड़छाड़ का इतिहास इंटरनेट के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है. ई-मेल या इंटरनेट के ज़रिए भेजे गए वायरस और कंपनियों और संस्थाओं की कंप्यूटर प्रणाली से जानकारी चुराए जाने से या उन्हें हैक किए जाने से कई बड़ी संस्थाओं को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है.मगर इस काम को हैकिंग क्यों कहते है? दरअस्ल इस शब्द का इस्तेमाल शुरु हुआ अमरीका की मेसेच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी (एम आई टी) में.यहां इस शब्द का अर्थ होता था कोई भी काम चतुर ढंग से या विचारोत्तजक नई शैली में करना. ज़ाहिर सी बात है कि अब हैकिंग का अर्थ है किसी कंप्यूटर या दूरसंचार प्रणाली को क्षति पहुंचाना.
1969शुरुआत हुई अरपानेट की जिससे आगे चलकर इंटरनेट का विकास हुआ. पहले अरपानेट नेटवर्क में केवल चार नोड का इस्तेमाल होता था.
1971रॉय टॉमलिनसन ने ई-मेल का पहला प्रोग्राम लिखा. इस समय अरपानेट में 64 नोड का इस्तेमाल होने लगा था.
1980ग़लती से एक कंप्यूटर वायरस के फैलने से अरपानेट ने काम करना बंद कर दिया.
1983अरपानेट प्रणाली को विभाजित करके सैनिक और नागरिक धड़ों में बांट दिया गया और जन्म हुआ इंटरनेट का.इसी वर्ष रिलीज़ हुई फ़िल्म वॉरगेम्स जिसमें हैकिंग को काफ़ी सकारात्मक रुप में पेश किया गया. हैकिंग करने वाले कई लोगों ने बाद में दावा किया कि वो कंप्यूटर प्रणालियों से छेड़छाड़ करने के लिए इस फ़िल्म से प्रेरित हुए थे.
1986अगस्त मे बर्कले में केलिफ़ॉर्निया विश्वविद्यालय की लॉरेंस बर्कले लैब के नेटवर्क मेनेजर क्लिफ़र्ड स्टॉल ने हिसाब खाते में 75 सेंट की ग़लती की जांच करते हुए पाया कि कुछ हैकर विभाग की कंप्यूटर प्रणाली के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं.एक साल तक चली जांच के बाद हैकिंग के लिए ज़िम्मेदार पांच जर्मन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया गया.1988कॉर्नेल विश्वविद्यालय के छात्र रॉबर्ट मॉरिस ने एक ऐसा वर्म प्रोग्राम बनाया जो किसी भी कंप्यूटर प्रणाली में पहंचाए जाने के बाद अपने जैसे 6000 प्रोग्राम बना कर प्रणाली को ठप्प कर सकता है.रॉबर्ट मॉरिस को गिरफ़्तार किया गया और उसे $ 10,000 का जुर्माना, 400 घंटे अनिवार्य समाज सेवा और दोबारा यही अपराध करने पर तीन वर्ष कैद की सज़ा सुनाई गई.
1989 केविन मिटनिककेविन मिटनिक को डिजिटल इक्विपमेंट कंपनी से सॉफ़्टवेयर और अमरीकी टेलिफ़ोन कंपनी एमसी से लंबी दूरी की टेलिफ़ोन लाइनों के कोड चुराने के आरोप में, ऐसी चोरी संबंधी नए कानून के तहत एक साल कारावास की सज़ा सुनाई गई.इसी वर्ष जिनीवा की सर्न प्रयोगशाला में टिम बर्नर्स ली और रॉबर्ट काइलियो ने डबल्यू डबल्यू डबल्यू यानि वर्ल्ड वाईड वेब का विकास किया.199416 वर्षीय रिचर्ड प्राइस को अमरीकी के अंतरिक्ष शोध संस्थान नासा, कोरियाई आण्विक शोध संस्थान के सैंकड़ों कंप्यूटरों में ग़ैरकानूनी ढंग से इंटरनेट के ज़रिए जानकारी निकालने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया.इसी वर्ष हेकिंग करने वाले एक गुट ने सिटीबैंक के कंप्यूटरों के कोड का पता लगा कर एक करोड़ डॉलर बैंक से निकाल लिए. सिटीबैंक इसमें से सिर्फ़ चार लाख डॉलर ही बरामद कर पाया.
1995फ़रवरी मे केविन मिटनिक को दोबारा गिरफ़्तार किया गया. इस बार उन पर 20,000 क्रेडिट कार्डों के नंबर चुराने का आरोप था.उन्हें चार साल कारावास की सज़ा सुनाई गई. उन्हें परोल की रियायत भी इस शर्त पर मिली कि वो कंप्यूटर या मोबाईल फ़ोन के पास नहीं फटकेंगे.15 नवंबर को वायरस प्रोग्राम लिखने के आरोप में क्रिस्टोफ़र पाइल को 18 महीने कारावास की सज़ा हुई. इस अपराध के लिए सज़ा पाने वाले वो पहले व्यक्ति थे.अमरीका का कहना है कि 1995 मे उसके प्रतिरक्षा विभाग के कंप्यूटरों पर ढाई लाख हमले हुए.
1996केविन मिटनिक को दी गई सज़ा के विरोध में कई लोकप्रिय वेबसाइट को हेकिंग करने वालों ने बिगाड़ दिया. इस वर्ष तक इंटरनेट पर 1,60,00,000 वेबसाइट उपलब्ध हो गईं थी.
1999 डेविड स्मिथमार्च में मेलिसा वायरस ने दुनियाभर के हज़ारों कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचाया. अमरीकी जांच एजेंसी एफ़बीआई ने इस ख़तरनाक वायरस को बनाने वाले न्यू जर्सी के एक प्रोग्रामर डेविड स्मिथ को गिरफ़्तार किया.
2000 फ़रवरी में याहू और अमेज़ॉन जैसी कुछ सबसे लोकप्रिय वेबसाइट हैकिंग का गंभीर रुप से शिकार हुईं.मई में आई लव यू वायरस ने दुनिया भर में कंप्यूटरों को भारी नुकसान पहुंचाया. इससे कंपनियों और संस्थाओं को करोड़ों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा. अक्तूबर में माइक्रोसॉफ़्ट ने स्वीकार किया की उसके अहम नेटवर्क भी हैकिंग का शिकार हो गए हैं हैकिंग करने वाले कुछ लोगों ने माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा भविष्य में बाज़ार मे लाए जाने वाले उसके विंडोज़ उत्पादों के सोर्स कोड का पता लगा लिया है.

1 comment:

PD said...

बहुत बढिया जानकारी.. अच्छा लगा पढकर..