संस्कृत अब इंटरनेट के माध्यम से भी लोगों तक पहुँच रही है। एक ऑन लाइन पत्रिका विश्ववाणी निकाली गई है, जो संस्कृत में है। यह अलग-अलग विश्वविद्यालय के छात्र निकाल रहे हैं।इस पत्रिका का आदर्श वाक्य है 'हम संस्कृत की दुनिया को सँवारेंगे।' इस पत्रिका के माध्यम से एक साफ-सुथरी और उजली दुनिया के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।पत्रिका को निकालने के लिए 'कैंपस संस्कृतम नेटवर्क' के झंडे तले भारत-अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी के छात्र एकजुट हुए हैं।अमेरिका में भी इसका चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्ववाणी निकालने वाले कैंपस संस्कृतम नेटवर्क के सदस्य एमआईटी, सीएमयू, यूपीआईटीटी, यूएमडी, पीएसयू, यूपीएन और कालटेक जैसी संस्थाओं से जु़ड़े हैं। विश्ववाणी के तीसरे अंक में प्रभा मंडयम के 'प्राचीन भारतीय गणित', हरिचंदन मंत्रिप्रगा़ड़ा के 'स्वामी विवेकानंद' जैसे कई लेख हैं। संस्कृत की ब्लॉगिंग पिछले दो साल में जोर पक़ड़ चुकी है। माइक्रोसॉफ्ट के इंजीनियर 'कालिदास' के नाम से ब्लॉग चलाते हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया के हिमांशु पोटा का एक लिंक है 'लर्न संस्कृत', जिसमें भाषा की शिक्षा, संस्कृत के गीत, व्याकरण और शब्दों के उच्चारण के बारे में विस्तृत तथ्यपरक जानकारी उपलब्ध है।
Wednesday, April 2, 2008
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1 comment:
अच्छा होता आप संस्कृत के इन ब्लाग्स या वेबपेज के लिंक्स भी यहां दे देते।
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